तात्या टोपे ( रामचंद पांडुरंग )
➤अंग्रेजी शोषण निति के कारण भारतीय अंग्रेजी शासन से परेशान हो रहे थे ! 1857 ई. में भारतियों का सब्र का बांध टूट रहा था ! अतः भारत में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रांति करने के लिए नाना साहब, टोपे व उनके साथियों ने योजना बनाई ! इस क्रांति को सफल बनाने के लिए एक संगठन का गठन किया गया ! इस संगठन के सदस्यों ने भेष बदलकर अंग्रेजी छावनियों में जाना प्रारम्भ कर दिया ! वहां ये सदस्य भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के विरूद्ध भड़काते थे ! तात्या टोपे ने इस संगठन का संचालन इतनी कुशलता से किया की अंग्रेजी सरकार को इस सम्बन्ध में कुछ पता न चला तात्या ने गनीमी कावा पद्धति को अपनाते हुए एक नवीन क्रांतकारी राज्य की स्थापना की जिसके प्रमुख केंद्र शिल्पी व जलालाबाद बनाये गये कुछ समय पश्चात तात्या ने अंग्रेजों से संघर्ष कर कानपुर पर अधिकार कर लिया ! अंततः अंग्रेजों ने कूटनीति का सहारा लिया व नरवर के राजा मानसिंह की सहायता से तात्या टोपे को 7 अप्रैल 1859 को गिरफ्तार कर लिया ! तात्या टोपे पर 15 अप्रैल 1859 ई. को शिवपुरी के सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया ! इस सैनिक न्यायालय का अध्यक्ष कैप्टेन बांग था ! जिसने उसी दिन तात्या टोपे को मृत्युदण्ड की सजा सुना दी ! इसी न्यायालय के आदेशानुसार 18 अप्रैल 1859 ई. को शाम 7 बजे तात्या टोपे को मृत्युदण्ड दे दिया गया !
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