सविनय अवज्ञा आन्दोलन

सविनय अवज्ञा आन्दोलन 


➤ असहयोग आंदोलन के स्थगन के पश्चात् स्वतंत्रता संघर्ष को किस प्रकार जारी रखा जाए, इसे लेकर कांग्रेस में मतभेद हो गए कांग्रेस का एक पक्ष परिषदों के चुनाव लड़कर परिषदों में प्रवेश करना चाहता था परन्तु कांग्रेस का दूसरा पक्ष परिषदों का बहिष्कार जारी रखना चाहता था ! इन परिस्थितियों में परिषदों  प्रवेश का इच्छुक पक्ष कांग्रेस से पृथक हो गया और उसके 'स्वराज्य पार्टी' की स्थापना की थी !
➤ दिसम्बर 1929 में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन आरम्भ हुआ ! इसके अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू थे ! उन्होनें घोषित किया कि " हमारे सामने एक ही धेय्य है और वह पूर्ण स्वाधीनता का ! " इस अधिवेशन में कांग्रेस ने ' पूर्ण स्वाधीनता ' के प्रस्ताव को स्वीकार किया ! 31 दिसम्बर 1929 को कांग्रेस अध्यक्ष ने अर्धरात्रि में रावी नदी के तट पर विशाल जनसमूह के समक्ष ' पूर्ण स्वाधीनता का ध्वज ' फहराया ! कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वाधीनता दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया ! अतः देश भर में स्वाधीनता दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया !
➤ कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ करने की स्वीकृति दी गई थी ! वाइसराय लार्ड इरविन ने लाहौर अधिवेशन के पूर्ण स्वाधीनता के प्रस्ताव को मानने से इंकार कर किया था परन्तु गांधीजी अभी भी समझौते की आशा रखते थे ! अतः उन्होंने 30 जनवरी 1930 को लार्ड इरविन के समक्ष 11 मांगे प्रस्तुत की ! गांधीजी ने यह भी घोषित किया मांगे स्वीकार न होने की स्थिति में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ किया जायेगा !
➤ गांधीजी चाहते थे की सरकार विनिमय की दर घटाये, भू - राजस्व काम करे, पूर्ण नशाबंदी लागु हो, बंदूकों को रखने का लाइसेंस दिया जाये, नमक कर समाप्त हो, सैनिक व्यय में 50% कमी हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि ! वाइसराय ने इन मांगों को अस्वीकार किया अतः गांधीजी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ किया ! 
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Milan Tomic

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